Maharaj Agrasen Jayanti, 2022

 


नमस्कार पाठकों, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग-पोस्ट  PoliticsnPoliticians.blogspot.com पर. दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगें की महाराज अग्रसेन कौन थे, उनके कितने पुत्र थे, उनकी कितनी शादियां हुई, उन्होंने अपनी प्रजा का संकट कैसे हरा. उनका साम्राज्य, जन्म स्थान और भी बहुत कुछ.

तो पाठकों में आशा करता हूँ की आप इस ब्लॉग को रुचिपूर्वक पढ़ेंगें और अधिक से अधिक शेयर करेंगे.

 

 महाराजा अग्रसेन कौन थे?
(Who is Maharaja Agrasen?)


महाराज अग्रसेन




महाराज अग्रसेन जी का जन्म अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को हुआ. प्रति वर्ष अश्विन माह की प्रथम नवरात्रि को महाराज अग्रसेन की जयंती मनाई जाती. महाराज अग्रसेन का जन्म सूर्यवंशी महाराजा वल्लभ सेन के घर हुआ था. इनकी माता का नाम भगवती देवी था. ये इनके बड़े पुत्र थे. ऐसा मन जाता है कि महाराज अग्रसेन के जन्म के समय ऋषि गर्ग ने महाराज वल्लभ सेन से कहा था कि आपका पुत्र बहुत बड़ा राजा बनेगा.

           इनका जन्म क्षत्रिय कुल में हुआ था. महाराज अग्रसेन आगरा के सूर्यवंशी राजा थे. महाराज अग्रसेन रामराज में विश्वास रखते थे तथा ये महादानी महापुरुष थे. महाराज अग्रसेन बहुत दयालु थे.

महाराजा अग्रसेन का समाजवादी सिद्धांत:
(Socialist Theory of Maharaja Agrasen):

महाराज अग्रसेन ने अग्रोहा राज्य की स्थापना की और राज्य का कुशलतापूर्वक संचालन करके अग्रोहा राज्य का विस्तार किया. समाज सेवा करना ये अपना परम कर्तव्य मानते थे. एक बार अग्रोहा में अकाल के कारण जनता त्राहि-त्राहि करने लगी तब इस समस्या का समाधान ढुंढ़ने के लिए अग्रसेन जी वेश बदलकर नगर विचरण कर रहे थे. रुपया-एक ईंट का सिद्धांत देकर महाराज अग्रसेन ने विश्व को समाजवाद का संदेश दिया. इस सिद्धांत के अनुसार महाराज अग्रसेन ने अपने राज्य वासियों को निवास के साथ-साथ सुरक्षा भी सुनिश्चित की. महाराज अग्रसेन की इस नीति की विश्व भर में प्रशंसा हुई और समाजवाद की स्थापना हुई.

हम महाराज अग्रसेन जयंती कब मनायेंगें?
(When we celebrate Maharja Agrasen Jyanti?)

इस वर्ष 26 सितंबर को महाराज अग्रसेन जी की जयंती मनाई जाएगी. इस दिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश (Regional Public Holiday) रहता है. महाराज अग्रसेन को अग्रवाल समुदाय का प्रवर्तक माना जाता है. इसलिए इस दिन अग्रहरी, अग्रवाल और जैन समुदायों द्वारा महाराज अग्रसेन जी की जयंती को बड़े ही धूम-धाम व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. महाराज अग्रसेन को अग्रहरी, अग्रवाल और जैन समुदायों का प्रवर्तक कहा जाता है. इनकी जयंती के दिन अग्रहरी, अग्रवाल और जैन समुदायों के लोग इनको याद करते है तथा महाराज अग्रसेन के दिखाए गए मार्ग पर चलने की कोशिश करते है.  

महाराजा अग्रसेन जयंती का अवकाश है या नहीं?
(Maharaja Agrasen Jayanti a holiday or not?)

महाराज अग्रसेन के जन्म दिवस पर अर्थात् 26 सितंबर को क्षेत्रीय अवकाश होता है. सर्वप्रथम पंजाब और हरियाणा में इस दिन को मनाया जाता था. परन्तु पिछले कुछ वर्षो से यह दिवस राजस्थान और उत्तरप्रदेश में भी मनाया जाने लगा है और इस दिन महाराज अग्रसेन द्वारा किए गए अच्छे कामों को याद किया जाता है.

महाराजा अग्रसेन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
(When and where was Maharaja Agrasen born?)

महाराजा अग्रसेन जी का जन्म अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को प्रताप नगर के राजा वल्लभ के यहाँ, सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में हुआ था, प्रतापनगर, वर्तमान में राजस्थान व हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे बसा है. धार्मिक मान्यता है कि ये भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी में सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के थे. 

महाराज अग्रसेन को कितने विवाह करने पड़े?
(How many marriages did Maharaj Agrasen have to do?)

महाराज अग्रसेन का पहला विवाह नागराज कुमुद की बेटी माधवी से हुआ. माधवी ने अपने स्वयंवर में महाराज अग्रसेन के पति रूप में चुना. इस स्वयंवर में इंद्र भी उपस्थित थे, माधवी द्वारा महाराज अग्रसेन को चुनने पर इंद्र उसे स्वयं का अपमान समझने लगे और महाराज अगरसेन के राज्य प्रतापनगर में अकाल की स्थिति उत्पन्न कर दी. 

इस भयंकर अकाल की स्थिति से अपने राज्य को बचाने के लिए महाराज अग्रसेन ने माता लक्ष्मी की आराधना की, जिसके फलस्वरूप माता लक्ष्मी ने कहा कि अपने राज्य को अकाल से बचाना चाहते हो तो कोलापूर के राजा नागराज महीरथ की पुत्री राजकुमारी सुंदरावती से विवाह कर लो. विवाह के बाद तुमको राजकुमार सुंदरावती की सभी शक्तियाँ प्राप्त हो जाएगी तब तुम इन्द्र से भी अधिक शक्तिशाली हो जाओगे और  इंद्र को तुम्हारे सामने आने के लिए अनेक बार सोचना पडेगा. इस प्रकार उन्होंने दूसरा विवाह कर प्रतापनगर को संकट से बचाया.

 

महाराजा अग्रसेन के कितने पुत्र हैं?
(How many sons Maharaja Agrasen?)

महाराज अग्रसेन जी के कुल 18 पुत्र थे, जिनके नाम पर वर्तमान में अग्रवाल समाज के लोगों के 18 गोत्र हैं। ये गोत्र निम्नलिखित हैं: 

18 गोत्रों के नाम:

1.   बिंदल 2.   भंदल 3.   ऐरन

4.   धारण 5.   गर्ग  6.   बंसल

7.   गोयल 8.   मित्तल 9.   नागल

10.  सिंघल     11.  गोयन 12.  जिंदल

13.  कंसल 14.  कुच्छल    15.  तिंगल

16.  मधुकुल    17.  तायल     18.  मंगल

 

महाराजा अग्रसेन के अठारह यज्ञ

(18 Yag of Maharaja Agrasen)

जब महाराज अग्रसेन को 18 पुत्रो की प्राप्ति हुई तब उन्होंने महर्षि गर्ग के कहने पर अपने 18 पुत्रो के लिए 18 यज्ञों की प्रतिज्ञा ली. इसी प्रकार जब यज्ञ में पशु की बलि देने पर उन्होंने यज्ञ को बीच में ही रोक दिया और कहा कि भविष्य में मेरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यज्ञ में पशुबलि नहीं देगा, न पशु को मारेगा, न माँस खाएगा. इसके साथ ही राज्य का प्रत्येक व्यक्ति प्राणीमात्र की रक्षा करेगा. इस घटना से प्रभावित होकर उन्होंने क्षत्रिय धर्म को अपना लिया.

महाराजा अग्रसेन का अंतिम पल
(Maharaja Agrasen's last moment)

महाराजा अग्रसेन समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष तथा महादानी महापुरुष थे. वे  सभी के हित और सभी के सुख के लिए काम करने वाले दयालु महापुरुष थे. उनके राज्य की प्रजा भी उनको प्रिय राजा मानती थी. उन्होंने महाभारत में पांडवो के तरफ से युद्ध किया था. उन्होंने अपनी प्रजा के हितों को ध्यान रखते हुए एक कुशल और संपन्न राज्य की स्थापना की. अपने जीवन के अंतिम पल में उन्होंने अपने राज्यभार और कर्तव्यभार को संभालने के लिए अपने बड़े पुत्र विभु को चुना था और इस प्रकार अपने सभी कर्तव्यों को विभु को सौंपने के बाद महाराज अग्रसेन वन चले गए तथा वन में ही अंतिम सांस ली और स्वर्गलोक को प्राप्त हुए.

 

महाराजा अग्रसेन को राष्ट्रीय सम्मान प्राप्ति
(Maharaja Agrasen receives national honour):

महाराज अग्रसेन के द्वारा किये गए पुण्य कार्यो और समाज सेवा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा 24 सितम्बर 1976 को उनके सम्मान में 25 पैसे के डाक-टिकिट जारी की. इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने 1995 में एक समुंदरी जहाज़ का नाम अग्रसेन रखा. जिसकी तस्वीर आज भी आप गूगल पर देख सकते है.

 

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