बाजार पूंजीकरण
(Market Capitalisation)
बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) से अभिप्राय कंपनी के कुल मूल्य से होता है, जिसे अदा करके कोई व्यक्ति अथवा संस्था, किसी कंपनी को खरीद सकता/सकती है।
किसी कंपनी की बाजार पूंजी (Market Capital) उस कंपनी के कुल शेयरों को, कंपनी के एक शेयर की कीमत से, गुणा (Multiply) करके ज्ञात की जा सकती है।
कुल बाजार पूंजी को, एक शेयर की कीमत से, भाग (Divide) देकर, उस कंपनी के कुल शेयरों की संख्या ज्ञात की जा सकती है। बाज़ार पूंजी के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल है और भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज है।
मान लीजिये किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत एक हज़ार है और इस कंपनी के कुल शेयरों की संख्या एक करोड़ है तो इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण कुल एक हजार करोड़ हुआ। किसी कंपनी का आकार भी उस कंपनी के बाजार पूंजीकरण पर निर्भर करता है।
जैसे : बजाज इलेक्ट्रिकल्स के एक शेयर की कीमत ₹1000 है, वहीं आईसीआईसीआई बैंक के एक शेयर की कीमत ₹650 है। साधारण ज्ञान के अनुसार एक शेयर की कीमत के आधार पर आप यह कह देंगे कि बजाज इलेक्ट्रिकल्स, आईसीआईसीआई बैंक से बड़ी कंपनी है क्योंकि उसके एक शेयर की कीमत, आईसीआईसीआई बैंक के एक शेयर की कीमत से अधिक है यह अवधारणा पूर्णता गलत है।
किसी भी कंपनी का आकार उसके बाज़ार पूंजी पर निर्भर करता है न की उस कंपनी के शेयर की कीमत पर।
आईसीआईसीआई बैंक का बाजार पूंजी 4,46,665 करोड़ है जबकि बजाज इलेक्ट्रिकल्स का बाजार पूंजी मात्र 12157 करोड़ है। कंपनी का आकार उसके बाजार पूंजी पर आधारित रहता है इसलिए हम कह सकते हैं कि आईसीआईसीआई बैंक, बजाज इलेक्ट्रिकल से बड़ी कंपनी है।
किसी भी कंपनी के शेयरों में कई प्रकार के निवेशक शामिल होते हैं। जैसे कंपनी के मालिक, म्यूच्यूअल फंड, खुदरा निवेशक, विदेशी निवेश संस्थाएं और अन्य घरेलू निवेश संस्थाएं|
जो शेयर कंपनी के मालिकों के पास रहते हैं उनका एक्सचेंज पर क्रय विक्रय नहीं होता है। शेष अन्य बचे शेयरों द्वारा ही किसी कंपनी की अस्थाई बाजार पूंजी का पता चलता है और उसी के आधार पर कंपनियों को निफ़्टी 50 और सेंसेक्स में जगह मिलती है।
बाजार पूंजी के आधार पर कंपनियों का वर्गीकरण
लार्ज कैप (large Cap): यह देश की 100 सबसे अधिक बाजार पूंजी वाली कंपनियां होती हैं। इन कंपनियों का इंडेक्स निफ़्टी 50, निफ़्टी नेक्स्ट 50 और निफ़्टी 100 होता है। इन कंपनियों में किए गए निवेश में जोखिम भी कम होता है और लाभ प्रप्ति भी कम होती है।
मिड कैप (Mid Cap): बाज़ार पूंजी के हिसाब से यह कंपनियां प्रथम 100 लार्ज कंपनियों के बाद से क्रमशः 101 से 250 तक की बाजार पूंजी के अवरोही क्रम में (Decending Order)होती हैं। इन कंपनियों में जोखिम सामान्यता लार्ज कैप से ज्यादा और स्मॉलकैप से कम होता है।वही इसमें रिटर्न लार्ज कैप से अधिक और स्मॉलकैप से कम होता है।
स्मॉल कैप (Small Cap): बाजार पूंजी के अवरोही क्रम के हिसाब से से लार्ज कैप की 100 और स्मॉल कैप की 150 कंपनियों के बाद से, क्रमशः 251 से 500 तक के अंदर में आने वाली कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों में जोखिम अधिक होता है वही लाभ कमाने का अवसर भी अधिक होता है। यही कंपनियां आगे चलकर मिड कैप और फिर लार्जकैप कंपनियां बनती है।
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Bahut khub
जवाब देंहटाएंThanx😊
हटाएं👌👌👌
जवाब देंहटाएं👍
हटाएंPlease tell about nifty and sensex in more detail
जवाब देंहटाएंवर्मा जी अगला कंटेंट सेंसेक्स और उससे अगला निफ़्टी पर ही तैयार किया जा रहा है, अपने कंटेंट पढ़ने में रुचि दिखाई धन्यवाद।
हटाएंVery good information 🙂
जवाब देंहटाएं🙏
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