हरतालिका तीज, 2022
हरतालिका तीज की मान्यता ये है की इसी व्रत को रखकर माता पार्वती का भगवन शिव से पुनर्मिलन हुआ था. इस व्रत में शिव और पार्वती की आराधना की जाती है. हरतालिका तीज भारतीय पंचांग अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है. हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलायें पति की लम्बी उम्र और खुशहाल दाम्पत्य जीवन के लिए रखती हैं. वही, कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर को पाने के लिए रखती हैं. यह व्रत बहुत कठिन होता है इसमें व्रती अन्न और जल तक ग्रहण नहीं करती हैं.
तीज का शुभ मुहूर्त:
हरतालिका तीज 2022 तारीख और मुहूर्त :- हरतालिका तीज का त्योहार 30 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा
1. सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05 - 08.38 बजे तक.
2. प्रदोष काल मुहूर्त - 30 अगस्त 2022, शाम 06.33- रात 08.51 तक.
हरतालिका तीज पूजा विधि:
1. हरतालिका तीज व्रत
की पूजा सूर्यास्त के बाद करना शुभ माना जाता है.
2. नहाकर साफ वस्त्र धारण करें. फिर मिट्टी से भगवान गणेश, शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा बनाये .
3. पूजा से पहले स्थान को अच्छे से
साफ सफाई करके उसे फूलों से सजा लें इसके बाद वहां एक चौकी रखें.
4. इसके बाद चौकी पर केले के पत्ते
रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा को इसपर स्थापित कर दें.
5. तीनों की पूजा अर्चना करके हरतालिका
तीज की कथा पढ़े और सुहागिन महिलाएं माता
पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं. कहा जाता है ऐसा करने से मनोवांछित फल मिलता है .
6. सबसे आखिर में इन चीजों को किसी
गरीब ब्राह्मण को दान कर दें. पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें और आरती करें.
अंत में सभी देवताओ को नमन करे .
7. अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और उन्हें मीठे का भोग लगाकर अपना व्रत खोल लें.
हरतालिका तीज का महत्व:
हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए तथा कुवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए रखती है. इस व्रत को करने से व्रतियों की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. धार्मिक मान्यता है की इस दिन माता पार्वती ने शिव जी का पूजन करके उन्हें पुनः प्राप्त किया था और एक बार फिर दोनों का मिलान हुआ था.
हरतालिका तीज के नियम:-
1. हरतालिका तीज का व्रत
करने के बाद बीच में नहीं छोड़ना चाहिये .
2. इस व्रत पर निर्जला व्रत किया
जाता है. इस दिन अन्न, जल का सेवन नहीं कर सकते.
3. इस दिन व्रत करने वाली महिलएं
दिन और रात को नहीं सो सकती .
4. रात में जागकर भजन कीर्तन करना
चाहिए और भगवान का सुमिरन करना चाहिए.
हरतालिका तीज व्रत कथा:-
हरतालिका व्रत कथा के अनुसार माता पार्वती ने अपने पूर्व
जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर गंगा नदी के तट पर अपनी
बाल्यावस्था से ही घोर तप किया और तप करने के दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं
किया तथा जला देने वाली गर्मी और कपकपा देने वाली ठंडी में भी वो विचलित नहीं हुई. इस तप के दौरान न तो माता पार्वती ने कुछ खाया और न ही जल
पीया. ऐसे ही कई वर्षो तक उन्होंने सूखे पत्ते चबाकर अपना जीवन बिताया.
अपनी पुत्री की ऐसी दशा देखकर
माता पार्वती के पिता बहुत दुखी हुए उनके दुःख को देखकर नारद मुनि उनके पास गए और
कहा की मैं भगवन विष्णु के आदेश पर यहाँ आया हूँ. वह आपकी पुत्री पार्वती से विवाह
करना चाहते है तब माता पार्वती के पिता ने उनका विवाह विष्णु जी से तय कर दिया.
जब ये बात माता पार्वती को पता चली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ. उनकी सखी द्वारा पार्वती से दुःख का कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि मैने सच्चे मन से शिव शंकर की आराधना की परन्तु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णु जी से तय कर दिया. पार्वती ने कहा की अब मेरे पास जीवन समाप्त करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.
इस पर उनकी सखी ने उन्हें वन जाकर तपस्या करने के लिए कहा और पार्वती वन चली गई. वन में घोर तपस्या की और तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी प्रकट हुए तब उन्होंने शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने की अभिलाषा प्रकट की. उनकी बात सुनकर शंकर जी ने तथस्तु कहके कैलाशी चले गए. उसी समय पार्वती के पिता उनको खोजते हुए वन पहुंच गए तब पार्वती ने कहा की मैं आपके साथ तभी घर लौटूंगी जब आप मेरा विवाह शंकर जी के साथ करवाएंगे. उनके पिता मान गए और उनका विवाह शंकर जी से करा दिया तभी से हरतालिका तीज का व्रत किया जाने लगा.
हरतालिका तीज का व्रत करने वाली स्त्रियों को शिव - शम्भू जैसे वर मिलता है और वो सुखपूर्वक जीवन बिताती है. हरतालिका तीज 2022 की आप सभी को हमारी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं.
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